सिद्धार्थ उपनिषद Page 96
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भावनात्मक स्वास्थ्य आता है निराकार के साथ तादात्म्य से . जैसे-जैसे हम निराकार से जुड़ते जाते हैं , वैसे-वैसे काम , क्रोध , लोभ , मोह , ईर्ष्या , द्वेष विदा होने लगते हैं . ध्यान एवं समाधि के माध्यम से हम निराकार से जुड़कर भावनात्मक रूप से स्वस्थ हो सकते हैं . इसके लिए ओशोधारा में 14 तल के समाधि कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं .
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आध्यात्मिक स्वास्थ्य आता है ओंकार के सुमिरन से . ओशो कहते हैं - " ओंकार हमारा मूल है . ओंकार हमारा गंतव्य है . ओंकार से दूर चले जाना नरक है . ओंकार के पास खिसकते चले जाना स्वर्ग है . ओंकार से मिलकर एक हो जाना समाधि है , मोक्ष है . " इसके लिए ओशोधारा में 14 सुमिरन कार्यक्रमों की रचना की गई है .
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भारत की राजनीति पटरी से उतर गयी है . कोई भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात कर रहा है . कोई कांग्रेस मुक्त भारत की बात कर रहा है . सब एक - दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं . राजनेता हों या पत्रकार सभी कीचड़ की होली खेल रहे हैं . जातिवाद , तुष्टिकरण , क्षेत्रवाद की चर्चा जोरों पर है . देश जल रहा है , लेकिन लोग हैं कि अपनी-अपनी रोटी सेंक रहे हैं . कुशल भारत की कोई बात नहीं करता . कुशल तंत्र की कोई बात नहीं करता . गुणवत्ता की कोई बात नहीं करता . विकास की कोई बात नहीं करता . वैभवशाली भारत की कोई बात नहीं करता . एक सीधी सी बात लोग समझने को तैयार नहीं कि इस देश की बिमारी भ्रष्टाचार नहीं , निकम्मापन है , अपारदर्शिता है , अकुशलता है , कुतंत्र है , कुशासन है .