सिद्धार्थ उपनिषद Page 90
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आकार का स्मरण संसार है. निराकार के प्रति जागरण ध्यान है. निराकार का स्मरण योग है. ओंकार का स्मरण सुमिरन है. निराकार और आकार का एक साथ स्मरण साक्षी है. निराकार में डूबना समाधी है.
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संतत्व का संबंध आध्यात्मिकता से है, वक्तृता से नहीं. अनुभव से है, विद्वता से नहीं. सत्य से है, कथा से नहीं. प्रेम से है, वासना से नहीं. करुणा से है, कामना से नहीं. रास से है, राग से नहीं. सच्चाई से है, आडंबर से नहीं.
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संतत्व का संबंध कथावाचन से नहीं सत्यबोध से है. रामायण माध्यम है, असली बात रामत्व का प्रतिपादन है. भजन माध्यम है, असली बात भगवत्ता का उदघाटन है. गीता माध्यम है, असली बात अस्तित्व के गीत का श्रवण है.
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ब्रह्मसूत्र की व्याख्या ब्रह्मज्ञान नहीं. गीता की व्याख्या आत्मज्ञान नहीं. उपनिषद की व्याख्या गुरुता नहीं. प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, गीता, ईशावास्योपनिषद) का व्याख्याकार जगतगुरु नहीं. राधे-राधे जपना भक्ति नहीं. आँख बंद कर बैठना ध्यान नहीं. आसन - प्राणायाम करना योग नहीं.