सिद्धार्थ उपनिषद Page 133
सिद्धार्थ उपनिषद Page 133
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ओशो ने कई जन्म लिए हैं . जीसस वही थे , फिर मुहम्मद भी वही थे , नानक भी वही थे . और 700 वर्ष पहले बौद्ध भिक्षु थे , तिब्बत में . यह हर्षवर्धन के जमाने की बात है , जो कन्नौज का राजा था . उस जमाने में उनका जन्म तिब्बत में हुआ था , जहाँ वे अपनी हत्या की बात कह रहे हैं . तो ऐसा नहीं है कि ओशो ने एक ही जन्म लिया है . उनके कई जन्म हुए हैं और आगे भी होते रहेंगे . क्योंकि ऐसे जो संत होते हैं वो बैकुंठ में कुंडली मार कर थोड़े ही बैठ जाते हैं . मनुष्यता की इतनी पीड़ा है : क्या उनकी करुणा उन्हें फिर धरती पर नहीं लाएगी ? अवश्य लाएगी .(404)
अनन्य भक्ति का का अर्थ है : केवल गोविन्द की भक्ति , अन्य किसी की भक्ति नहीं . मैं भी यही कहता हूँ गोविन्द की अनन्य भक्ति करो और देवी-देवता , कुल देवता , इनको सम्मान दो . रेस्पेक्ट करो . प्रेम गोविन्द से सम्मान सबका . सम्मान सभी देवी-देवताओं का. क्योंकि ये सम्मान बहुत महत्वपूर्ण है ." मैंने तो अपनी मौज में अपना सिर झुका दिया , अब खुदा मालूम काबा था कि बुतखाना था ." सिर झुकना बड़ी बात है .
" जबभी पूजा भाव उमड़ा पूंछ मत आराध्य कैसा , मृत्तिका के पिंड से कह दे कि तू भगवान बन जा . जानकार अनजान बन जा ."