सिद्धार्थ उपनिषद Page 131
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जो हमें मदद करता है , हम उसको गाली देते हैं . विश्व के सारे लोग समझ गए हैं . इसलिए धीरे-धीरे सबने मदद देना बंद कर दिया है . एक दिन इंद्र ने मुझसे कहा थोड़ा लोगों को समझाओ ; ये भारत के लोग जो मदद करता है उसी की निंदा करते हैं . सारे देवता बहुत बड़ी व्यवस्था को देख रहे हैं . और मंगल के लिए दिन-रात लगे हुए रहते है , दिन रात लगे हुए रहते हैं . और हम कैसी कहानियां बनाते हैं ; कि इंद्र जी गए और अहिल्या से व्यभिचार कर लिया . अब बताओ ! इंद्र के करेक्टर पर हमने प्रहार कर दिया . इंन्द्र ने कहा कि समझाओ इन लोगों को हम जितना कुछ करते हैं उतना ही ये हमारा अपमान करते हैं .भारत की दुर्दशा हुई है केवल देव-निंदा के कारण, मैं तुमसे बताना चाहता हूँ . एक हजार साल तक हिन्दुस्तान गुलाम रहा , इसका बड़ा कारण था हम सदा देव-निंदक रहे . सदा देवताओं की निंदा करते रहे . जिसने भी हमारा भला किया हमने उसी की बुराई की . हीन संस्कृति हमें छोड़नी पड़ेगी . हमें obligation का पाठ सीखना होगा . हमें अहोभाव का पाठ सीखना होगा . थोड़ा तो धन्यवाद देने की कला तो सीखनी होगी . हम धन्यवाद देते ही नहीं . इसलिए मैं कहता हूँ थैंक्यू कहना शुरू करो . हमें थैंक्यू की संस्कृति सीखनी होगी