सिद्धार्थ उपनिषद Page 130
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तथाता को अंग्रेजी में कहते हैं: suchness-जैसा का तैसा . अर्थात एक परम स्वीकार में जिंदगी . जो सचनेस में रहता है ; मान हो अपमान हो , हार हो जीत हो , जो हमेशा प्रभु के धन्यवाद भाव में रहता है , उसी का नाम तथाता है .(399)
शुरू में केवल निराकार का अस्तित्व था . गोविन्द ने कहा - " एकोहं बहुस्यात " मैं एक से अनेक हो जाऊँ. तो सृष्टि में पदार्थ का जन्म हुआ . और पदार्थ परमात्मा का .००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००1 प्रतिशत है . बाकी 99.999999999999999999999999999999999 प्रतिशत अभी भी निराकार है . तो पहली बात सृष्टि बहत थोड़ी सी है , बहुत थोड़ी सी है . अब हमारे आसपास यह सृष्टि कितनी पुरानी है ? यह सूरज जो है 5 अरब साल पहले पैदा हुआ और आज से 5 अरब साल बाद यह सूरज नहीं होगा . और पृथ्वी कुल 4 अरब साल पहले सूरज से निकली. और पृथ्वी पर जीवन आज से केवल 60 करोड़ वर्ष पहले आया . 3400 मिलियन साल तक यहाँ जीवन नहीं था . 600 मिलियन साल पहले जीवन आया - बैक्टीरिया, अमीबा . फिर वनस्पति , जीव-जंतु आदि आये . और आदमी केवल 1 लाख साल पहले आया . उसके पहले आदमी था ही नहीं . तो सृष्टि की रचना कल हुई थी . कल समाप्त हो जायेगी . " मेरा जीवन सबका साखी , कितनी बार सृष्टि जागी है , कितनी बार प्रलय सोया है .कितनी बार हंसा है जीवन , कितनी बार विवश रोया है . मेरा जीवन सबका साखी ."
यह गोविन्द तो सदा था सदा रहेगा . सृष्टि तो कितनी बार बनेगी , मिटेगी . लेकिन गोविन्द सदा ऐसा ही रहेगा .