सिद्धार्थ उपनिषद Page 129
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तुम्हारे शरीर के चारो तरफ जो सूक्ष्म-शरीर का प्रकाश है उसको ही आभामंडल कहते हैं . वो सूक्ष्म-शरीर है . जो ज्यादा दुखी हैं , भयभीत हैं , परेशान हैं , उनका आभामंडल सिकुड़ा रहता है , उनका आभामंडल शरीर के अंदर हो जाता है . इसलिए भूत-प्रेत , इतर-आत्माएं ऐसे लोगो पर जल्दी अटैक कर देते हैं. क्योंकि उनका आभामंडल भीतर है . और वे इतर -आत्माएं कान से आराम से भीतर प्रवेश कर जातीं हैं . जो आदमी खुश है , निडर है , निर्भय है , उसको कोई परेशानी नहीं होती : उसका आभामंडल उसकी रक्षा कर रहा है . ऐसी कुछ रचना है कि कोई भी एलियन तत्व तुम्हारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है . सुबह और शाम उनको (भूत-प्रेतों) देखना आसान होता है . तुम्हें ये पता नहीं चलता कि वास्तव में वे असली आदमी हैं कि भूत-प्रेत हैं . क्योंकि वे बिलकुल तुम्हारे जैसे दिखते हैं . ध्यान से देखोगे तो वे फ्लोटिंग करते हुए चलते हैं . उससे पता चलता है . और अगर तुम डर गए तो तुम्हारा आभामंडल सिकुड़ जाता है और उसमें से कुछ बदमाश प्रवृति कि आत्माएं अंदर घुस जाती हैं . इसलिए सदा प्रसन्न रहो , प्रेमपूर्वक रहो , करुणापूर्ण रहो , positive thinking के साथ रहो . कोई एलियन तत्व तुमको परेशान नहीं कर सकता है . तो सूक्ष्म-शरीर का ही दूसरा नाम आभामंडल है .
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समाधि में तुम जागे हो पर किसके प्रति जागे हो यह पता नहीं . ध्यान में कम से कम निराकार के प्रति जागे हुए रहते हो . समाधि में कोई खबर नहीं होती है .