सिद्धार्थ उपनिषद Page 125
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दूसरी कोटि के लोग हैं - वो कहते हैं : अभी तो जा ही रहें हैं देखेंगे जैसा होगा . इतनी जल्दी क्या करना ? वहां बुजुर्ग कहते हैं - ठीक है . ध्यान रखना अब essential(अनिवार्य ) नहीं है . अब क्या है ? अब ग्रह-नक्षत्र यहाँ काम करेंगे . ज्योतिष अब यहाँ काम करेगा . किस नक्षत्र में तुम पैदा हुए किस घर में तुम पैदा हुए उसके अनुसार काल कब आ रहा है , कब मृत्यु आ रही है तय किया जा सकता है . यह मृत्यु दूसरी कोटि (अर्ध- अनिवार्य) में आती है .
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तीसरी कोटि के लोग आते हैं -- जैसे एक individual अब तुम्हारा नहीं है , अब एक भोगोलिक , सामूहिक गतिविधियां होती हैं . इसी कारण से ; जैसे मान लो भूकंप आ गया . जैसे उत्तराखण्ड में पानी आ गया ओर हजारों लोग मर गए . ये न तो अनिवार्य कैटेगरी में थे न अर्ध अनिवार्य कैटेगरी में थे , वे गैर अनिवार्य कैटेगरी में थे . अर्थात रीजन (region) में जो घटित होगा उससे तुम प्रभावित हो जाओगे . जैसे नाव डूबी सब डूब जाते हैं ; उसमें अनिवार्य तथा अर्ध-अनिवार्य नहीं काम कर रहा है . वहां पर एक सामूहिक घटना घट रही है और उस सामूहिक घटना के तुम प्रभाव में आ जाते हो . लेकिन यदि अनिवार्य तुम लिखा के आये हो तो नाव तो डूब जायेगी पर तुम्हारा बाल-बांका नहीं होगा . कोई न कोई आएगा और तुमको बचा लेगा . आकस्मिक मृत्यु को मैं तीसरी कोटि (गैर-अनिवार्य ) में मानता हूँ .