सिद्धार्थ उपनिषद Page 120
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और अहंकार का क्या अर्थ है ? कि मैं स्वयं गुणी हूँ , विद्वान हूँ , बलवान हूँ , धनवान हूँ , ऊंचे पद पर हूँ इसलिए लोग मेरा आदर करें : ये अहंकार है . लोग मुझे RESPACT दें : ये अहंकार है . अहंकार साधना में बहुत बड़ी बाधा है .
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जिसका तुम सम्मान करते उसकी नज़रों में तुम गिरना नहीं चाहते . तुम सोचते हो हमसे ऐसी कुछ गलती न हो जाए कि हमारा जो सम्मानीय है , उसकी नज़रों में हम थोडा गिर जाएं . मै तुम्हें बताता हूँ - मै इतना ज्यादा खुला हूँ , सहज हूँ . मगर मुझे भी ओशो से डर लगता है . क्योंकि तुम्हारे लिए वे प्रत्यक्ष नहीं हैं , मेरे लिए वे प्रत्यक्ष हैं ; करीब-करीब रोज ही उनसे मुलाक़ात होती है . रोज ही कुछ instructions देते हैं . और मुझे कुछ भी करने से पहले लगता है कि कुछ हो जाए ऐसा-वैसा और ओशो कहेंगे - you too brutes . तो एक डर ... ये डर नहीं है , ये एक reverence है , एक अति सम्मान का भाव है . ये सम्मान गुरु के प्रति होना चाहिए , होना चाहिए...