सिद्धार्थ उपनिषद Page 118
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सद्गुरु कौन है ? कुछ संत तुम्हें भी संतत्व की दिशा में गाइड करने को राजी होते हैं , कुछ संत ऐसे हैं जो करुणावश गाइडेंस भी देते हैं : इनको सद्गुरु कहते हैं .
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समाधि नींद जैसी है , इसलिए समाधि में खर्राटा आ सकता है ; क्योंकि शरीर परम विश्राम में है . समाधि में कोई स्वप्न नहीं आता ; समाधि में ऊपर के आकाश में जाते हैं : तो समाधि लगती है . और नीचे के आकाश में आते हो तो स्वप्न आता है .
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समाधि का फल तो ईश्वर का ही दान है . लेकिन पुरुषार्थ तो करोगे - बैठोगे , अंतर-आकाश को देखोगे , अंतर-आकाश में डूबने का प्रयास करोगे . अब तुम कहो जब ईश्वर की कृपा से ही मिलती है तो हम ऐसे ही आँख खोलकर बैठे हुए हैं : समाधि लग जाए . समाधि तो गोविन्द का वरदान है . लेकिन बैठो तो , आँख बंद तो करो , कम से कम अंतर-आकाश में PENITRATE करने का प्रयास तो करो .