सिद्धार्थ उपनिषद Page 112
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ओशोधारा ने एक रिसर्च इंस्टिट्यूट शुरू किया है . उसका नाम है - सिनर्जिक होमिओपैथी रिसर्च इंस्टिट्यूट . संक्षिप्त में हो जाता है -shri.जैसे आध्यात्म में कबीर से आगे बात नहीं बढ़ी . वैसे होमिओपैथी में हनिमान से आगे बात नहीं बढ़ी . हनिमान बड़े ही प्रकांड , मेधावी डॉक्टर थे . अदभुत चीज उन्होंने शुरू की थी . लेकिन, जैसे हर व्यक्ति जो बहुत इंटेलिजेंट होता है वो छोटी-छोटी बात में कहीं गलती कर जाता है . ऐसे ही हनिमान से एक भूल हो गयी. आर्टिकल 273 , 274 जो उनकी मूल किताब : "आर्गेनन" उसका नाम है .
उन्होंने कहा कि हर एक दवा कि प्रूविंग हुई है . तो एक दवा से जो-जो सिम्पटम(symptom)पैदा हुआ उस सिम्पटम में वो दवा काम में आएगी . जैसे चाइना को खिलाओ एक महीने तो आदमी को मलेरिया जैसा बुखार हो जायेगा . तो जब मलेरिया बुखार किसी को होगा तो चाइना दे दो, ठीक हो जायेगा . सारी दवाओं की उन्होंने प्रूविंग की और ये कह दिया - कि एक बार में इसमें एक दवा देना . एक दवा का तो पता है कैसे काम करेगा , लेकिन अगर एक साथ तुमने चार दवा दे दिया तो कैसे काम करेगा , यह कोई नहीं जानता : ये हनिमान ने कहा . पूरी दुनियां में इसके बाद जितने डॉक्टर हुए ; हनिमान की इस बात को पकड़ लिया . जिसका नाम है "क्लासिक होमिओपैथी" . मै तुमसे पूंछता हूँ - कि भात (चावल) खाओगे तो carbohydrate मिलेगा, दाल खाओगे तो प्रोटीन मिलेगा, सब्जी खाओगे तो विटामिन मिलेगा. तीनों खाओगे तो क्या मिलेगा ?