सिद्धार्थ उपनिषद Page 108
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मेरी एक कामना शेष है -- " जब मैं बैकुंठ जाऊंगा , संत लोक में तो वहां ओशो से मुलाकात होगी . क्योंकि मैं पहले भी भ्रमण कर चूका हूँ : और वहां देख चूका हूँ कि ओशो कहाँ रहते हैं , कैसे रहते हैं . और उनके बगल में ही मेरी गुफा वहां है . तो निश्चित उनसे मुलाकात होगी . तो मेरी एक कामना है जब ओशो से मेरी पहली मुलाकात वहां हो -" तो मुझे देखकर मुस्कराएं और कहें welldone.खूब किया , अच्छा किया .(352)
भगवान सदा प्रकट है . जो प्रकट है , वो क्या प्रकट होगा . सब जगह प्रकट है . हाँ ! तुम पहचानते नहीं हो , ये मै तुम्हारी व्यथा समझता हूँ . जैसे हम तुमसे बात करते हैं , हम तो वैसे उससे बात करते हैं . वह बात सुनता भी है , और रिस्पोंस भी देता है . तुम भी जब आ जाओगे "गोविन्द-पद " में , तब तुम भी बात कर सकते हो . वो तो प्रकट है . वह कहीं छुपा हुआ नहीं है . तुम देख के अनदेखा कर देते हो , तुम सुन के अनसुना कर देते हो .लेकिन उसकी व्यवस्था चलाने वाले जो लोग हैं - ब्रह्मा हैं , शिव हैं , विष्णु हैं. निश्चित ये सर्वव्यापी नहीं हैं . जब तुम इनका आवाहन करते हो तब प्रकट होते हैं . तुम आ जाना "धूनी-चिकित्सा" में जिसे कहोगे उसे प्रकट कर देंगे, मिला देंगे .