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    सिद्धार्थ उपनिषद Page 100


    सिद्धार्थ उपनिषद Page 100


    (331)             

    प्रभु स्मरण सुमिरन का चौथा महत्वपूर्ण तत्व है. ओशोधारा में विभिन्न तलों के कार्यक्रमों में प्रभु का अलग-अलग स्वरुप बोधगम्य कराया जाता है. आती श्वास के साथ प्रभु का वह स्वरूप अनुभव करना होता है.

    (332)

    सद्गुरु स्मरण सुमिरन का पांचवां महत्वपूर्ण तत्व है. प्रभु निराकार है, निर्गुण है. इसलिए सुमिरन की प्रगाढता के लिए जरूरी है कि सद्गुरु का चेहरा परमात्मा का चेहरा माना जाए और प्रभु स्मरण में सद्गुरु स्मरण जोड़ दिया जाए.

    (333)

    प्रेम सुमिरन का छठा महत्वपूर्ण तत्व है. आती श्वास के समय न केवल प्रभु की उपस्थिति का बोध बना रहे, बल्कि उसके प्रति प्रेम का अनुभव करना है. प्रेम के बिना सुमिरन का कोई अर्थ नहीं .

     (334)

    आत्म-स्मरण सुमिरन का सातवां महत्वपूर्ण तत्व है. विभिन्न तलों में कार्यक्रम के अनुसार आत्मा का स्वरूप बदल जाता है. उसी स्वरूप के अनुसार आत्म-स्मरण करना वांछनीय है.



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