सिद्धार्थ उपनिषद Page 88
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आज को जो past life regression है, वो सब कहते हैं, हां सृष्टि ब्रह्मा ने बनाई है. जितने भी लोग हिप्नोसिस में गए; सोल्स कि रचना में, सबने कहा परमात्मा नहीं बनाता है. बहुत लोगों ने कहा हम ब्रह्मलोक से आए हैं. तो बहुत ही खूबसूरत आयोजन है. आश्चर्य है जो ऋषियों का रिसर्च था, आज past life regressionist पुष्टि कर रहे हैं.ओशो ने कहीं मजाक उड़ाया कहीं establish किया. इसलिए आप ओशो का एक चीज मत पकड़ो, पूरे में देखो. आपने पूरा कहाँ पढ़ा!!! एक में ओशो कहते हैं मीरा में अमृत ही भर गया, जहर का असर नहीं हुआ. एक जगह कहते हैं अरे! नकली जहर रहा होगा. अब आप केवल नकली जहर को पकड़ लो तो अधूरी बात हो जायेगी. 'गहरे पानी पैठ','क्रांतिबीज','मै कहता आंखन देखी' में सभी देवी-देवताओं को establish कर रहे हैं. सारे तीर्थों को establish कर रहे हैं. हम लोगो का क्या है एक पढ़ लिया कहीं, फिर सोचते हैं कि ओशो का ये व्यू है. कोई देवताओं के चक्कर में पड़ जाए तो ओशो खंडन करेंगे; क्योंकि मंजिल तो राम है न!!!. ब्रह्मा-विष्णु-शंकर तथा देवता ये सब सम्माननीय हैं, पूज्य हैं. लेकिन मंजिल तो नहीं हैं न!!!. ये बात हमें भी ख्याल रखना होगा, ये सब सम्माननीय हैं. गुरु सम्माननीय है, लेकिन मंजिल तो नहीं; गोविन्द मंजिल है. अब कोई हमसे पूंछे - हमारे गुरु ही प्यारे हैं, अब क्या करना गोविन्द से. तो हम कहेगे तुम भ्रम में हो; गुरु भी गोविन्द के कारण महिमावान है. जिसके कारण वो महिमावान है, उस कारण पर जाओ न!!!. आप कहो कि स्वामी जी आप गुरु का खंडन कर रहे हैं. खंडन कहाँ कर रहे हैं. उस बंदे का गुरु पर अटकने का खंडन कर रहे हैं. गुरु का खंडन नहीं कर रहे हैं. तो ओशो के लोगों ने ओशो को बिलकुल भी नहीं समझा. ओशो ब्रह्मा- विष्णु- महेश का खंडन नहीं कर रहे हैं, वो आपके अटकने का खंडन कर रहे हैं.