सिद्धार्थ उपनिषद Page 79
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लाहिड़ी महाशय जो थे वो तो अदभुत ऋषि थे. वे पिछले जन्म में भर्तहरी थे.तो उनका पास्ट लाइफ बहुत strong है. और जिनको महावतार कहा जाता है. वो महावतार का भेद योगानंद जी नहीं जानते थे. और न उन्होंने कहीं भेद किया है. गोरखनाथ जी महावतार थे. गोरखनाथ के शिष्य थे भर्तहरी. इसलिए लाहिड़ी महाशय का पूर्व जन्म का association था. इसलिए गोरखनाथ जी ने उनको सूक्ष्म रूप में दर्शन दिए.
महावतार क्यों कहते हैं इस बात को भी समझ लो. कृष्ण अवतार कहे जाते हैं, राम अवतार कहे जाते हैं,बुद्ध अवतार कहे जाते हैं. नाथों ने क्या किया ? नाथ शिव से जुड़े हुए हैं. नाथ वैष्णव नहीं हैं. आदिनाथ शिव को कहते हैं. तो शिव के अवतार को वैष्णवों से अपनी श्रेष्ठता दिखने के लिए महावतार कहा. कि तुम्हारे अवतार हैं, हमारे महावतार हैं.
ये सब अहंकार के चोचले है. गोरख को वे शिव का अवतार मानते हैं, जितने भी नाथ हैं. इसलिए गोरखनाथ को वो महावतार कहते हैं.
हिमालय यात्रा में रूद्र प्रयाग में उनका आवाहन किया गया. पूरा मेरे को उन्होंने घेर लिया, फोटो है. तो इन लोगों की उपस्थिति है. लेकिन स्थूल शरीर में नहीं है. सूक्ष्म शरीर में है.