सिद्धार्थ उपनिषद Page 78
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कोई भी मनुष्य शरीर में 300 साल से ज्यादा नहीं जी सकता. जैसे ही बच्चा जन्म लेता है. उसका 3000 शेल प्रतिदिन मरना शुरू हो जाता है. मनुष्य देह जो है. तो कितना भी योग करो, तपस्या करो; अधिक से अधिक 300 साल. तैलंग स्वामी 300 वर्ष, देवरहा बाबा और उनकी परम्परा के सभी संत 170 साल तक. ये सभी कपालभाति प्राणायाम करते थे. कपालभाति प्राणायाम करने वाले दीर्घजीवी होते हैं. कपालभाति रोज 2 घंटा करो आप भी 300 सौ साल जियोगे. तो ये एक परम्परा है. तो कितना ही कपालभाति करो 300 सौ साल से तो ज्यादा नहीं जियोगे. हाँ एक बात जरूर है इनका (दिव्यात्माओं) अस्तित्व जरूर है. सारी दिव्यात्माए हैं. क्योंकि मरने के बाद सूक्ष्म शरीर में तो तुम भी रहोगे. तो सूक्ष्म रूप में कहीं भी उनकी उपस्थिति हो सकती है. और जो सूक्ष्म शरीर है वो अपने को देह रूप में प्रोजेक्ट कर सकता है. जरूरी नहीं है कि हमेशा वह ऑर्ब के रूप में ही दिखे. ये जो गणेश जी हैं, वो बड़े funny हैं. हाथी का सूंड बनाकर प्रकट हो गए. लोगों ने समझा सचमुच हाथी का स्वरुप हैं.बहुत funny हैं. अपना वो मजाक बहुत करते हैं. इसलिए उस रूप में वो आ गए. इसका मतलब ये नहीं है, कि सचमुच में उनकी हाथी की सूंड है. वे (दिव्यात्माए) अपना रूप भी दिखा सकते हैं. आपको दिखेगा शरीर है, लेकिन होगा नहीं.बातचीत सीधे नहीं हो सकती. आपको मैसेज ऐसे मिलेगा कि लगेगा बात हो रही है. आपको लगेगा वो कह रहे हैं, आप कुछ कह सकते हैं.