सिद्धार्थ उपनिषद Page 59
सिद्धार्थ उपनिषद Page 59
(227)
संतत्व का संबंध आध्यात्मिकता से है, विरक्तता से नहीं. अनुभव से है, विद्वत्ता से नहीं, सत्य से है, कथा से नहीं. प्रेम से है, वासना से नहीं. करुणा से है, कामना से नहीं. रास से है, राग से नहीं. सच्चाई से है, आडंबर से नहीं.
(228)
संतत्व का संबंध कथावाचन से नहीं सत्यबोध से है. रामायण माध्यम है, असली बात रामत्व का प्रतिपादन है. भजन माध्यम है, असली बात भगवत्ता का उद्घाटन है. गीता माध्यम है, असली बात अस्तित्व के गीत का श्रवण है.
(229)
ब्रह्मसूत्र की व्याख्या ब्रह्मज्ञान नहीं. गीता की व्याख्या आत्मज्ञान नहीं. उपनिषद की व्याख्या गुरुता नहीं. प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, गीता, ईशावास्य उपनिषद) का व्याख्याकार जगतगुरु नहीं. राधे-राधे जपना भक्ति नहीं. आंख बंद कर बैठना ध्यान नहीं. आसन-प्राणायाम करना योग नहीं.
(230)
कथावाचक वक्ता है, संत नहीं. मन्त्र देने वाला कुलगुरु है, सद्गुरु नहीं. कला जादू अपराध है, तंत्र नहीं. ज्योतिष विद्या है. धर्म नहीं. शिवयोग सम्मोहन है, अध्यात्म नहीं.
(231)
दुःख निवारण ढोंग है, स्वामीत्व नहीं. समोसा खिलाकर संकट दूर करने का दवा पाखण्ड है, कृपा नहीं. बिना प्रेम के सम्भोग बलात्कार है, प्यार नहीं.