सिद्धार्थ उपनिषद Page 46
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दामिनी का बलिदान दमन पर आधारित संस्कृति के कारण हुआ. इस पर सोचने की जरुरत है. दामिनी पर बलात्कार एक साधारण बलात्कार नहीं है. वह अपने मित्र के साथ सिनेमा देखकर लौट रही थी. उस पर बलात्कार केवल दमित सेक्स का परिणाम नहीं था, बल्कि कहीं-न-कहीं अपराधियों द्वारा प्रेम कों अपराध मानने के कारण भी हुआ. प्रेम को अपराध मानने और प्रेम-विवाह करने वाले युगलों कों मारने के पीछे आखिर मानसिकता क्या है? क्वांरी लड़कियों कों मोबाइल न देने के फतवे के पीछे सोच क्या है? प्रेम करने वालों की ऑनर कीलिंग का कारण क्या है? ऐसे बहुत से सवाल हैं, लेकिन समाधान एक ही है - ' वर्जना आधारित मानसिकता का सम्पूर्ण अंत.'
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ब्रह्म की तीन अभिव्यक्तियाँ हैं - ईश्वर, जीव और जगत. इसे परम चैतन्य, चेतन और जड़ भी कह सकते हैं. इसे शिव, शक्ति और संसार भी कह सकते हैं. इसे सत्, रज और तम भी कह सकते हैं. इसे पुरुष, प्रकृति और विश्व भी कहा जा सकता है. इसे परमात्मा, आत्मा और शरीर भी कहा जा सकता है. इसे निराकार, सूक्ष्म और स्थूल भी कहा जा सकता है. इसे उदाहरण से समझना चाहें, तो यह सागर, लहर और तट की तरह है. सूरज, किरण और प्रकाश की तरह है. वृक्ष, फल और सूखी डाली की तरह है.
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ब्रह्म सर्वव्यापी है. उसी से जड़ और चेतन दोनों पैदा होते हैं. जड़ चेतन कों धारण करता है. परमचैतन्य चेतन का पोषण करता है. तीनों के इस समीकरण से ही सृष्टि की लीला चलती है.