सिद्धार्थ उपनिषद Page 25
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अंडमान के पोर्टब्लेयर शहर में स्थित सेल्युलर जेल देखकर मन भर आया. यहाँ कालापानी यानी आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाता था और उन्हें विविध यातनाएं दी जाती थीं. इसे देखकर ख्याल आया कि कितने संघर्ष के बाद हमें आजादी मिली. सभी सांसदों और विधायकों को इस राष्ट्रीय धरोहर को देखने जाना चाहिए, ताकि वे आत्महित से ज्यादा देशहित में सोचें.
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पतंजलि ने समाधी के अनेक प्रकार बताये हैं. लेकिन अनुभव की दृष्टि से मुख्यतः दो ही भेद हैं - जड़ समाधि एवं चेतन समाधि. जड़ समाधि के अंतर्गत विचार समाधि (विचार से एकात्म), भाव समाधि (भाव से एकात्म ) एवं महाबंध समाधि (महाबंध द्वारा साँस रुद्ध कर प्राण से एकात्म ) सम्मिलित हैं. चेतन समाधि के अंतर्गत आत्म समाधी (अंतराकाश से एकात्म), परम समाधि (परम आकाश से एकात्म), सहज समाधि (सहज मंडल से एकात्म) एवं अचल समाधि (अचल मंडल से एकात्म) हैं. ओशोधारा में हम चेतन समाधि के मार्ग से अचल समाधि तक की यात्रा करते हैं.
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महर्षि व्यास ने पाप और पुण्य की परिभाषा दी है -'अष्टादश पुराणेषू व्यासस्य वचनं द्वयं. परोपकाराय पुण्याय, पापाय पर पीडनम्.' अर्थात अठारहों पुराण में महर्षि व्यास ने दो ही बात कही है कि परोपकार पुण्य है, और पर पीड़ा पाप है. पुण्य सुख देता है. पाप दुःख देता है. यह बात सच है कि परोपकारी व्यक्ति का अगला जन्म सुख सुविधा पूर्ण होता है. नहीं. परोपकार प्रेम से प्रेरित हो, लोभ से नहीं. आनंद से प्रेरित हो, अहंकार से नहीं.