सिद्धार्थ उपनिषद Page 10
सिद्धार्थ उपनिषद Page 10
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प्यार को रिश्ते का नाम देने कि पुरानी परंपरा है.यहाँ तक कि लोग परमात्मा से भी रिश्ता बनाने की कोशिश करते हैं.इससे प्रेम तो रहता है,प्रेमानंद खो जाता है.यह भूल कई संतों से भी हुई है.कबीर साहब कहते हैं--'हरि मेरो पिरू हउ हरि कि बहुरिया.राम बड़े मैं तनक लहुरिया.'
धरनीदास कहते हैं--'एक पिया मोरे मन मान्यों.'
यदि परानंद पाना उद्देश्य है,तो भगवत प्रेम को रिश्तों से मुक्त करो--'प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो.'
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सुमिरन की एक विधि है-अमृत सुमिरन.इसमें नींद में भी सुमिरन चलता रहता है.फिर सपने नहीं आते.सुमिरन इतना प्रगाढ़ हो जाता है कि सपने के लिए जगह ही नहीं बचती.यह बुद्धत्व की अंतिम स्थिति है.इसीलिए कहा जाता है कि बुद्ध पुरुष सपने नहीं देखते.
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चित्रकूट में गुप्त गोदावरी की गुफा में भगवान राम ने सीता-लक्ष्मण के साथ लगभग १२ वर्ष निवास किया था.यह एक दर्शनीय स्थल है.मुझे वहाँ जाकर बहुत अच्छा लगा.अमावस्या को वहाँ भारी भीड़ होती है.इसीलिए वहाँ जाने का कोई अन्य समय चुनना चाहिए.
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महापुरुषों के प्रति श्रद्धा अंततः हमें गोविन्द की भक्ति में ले जाती है.श्रद्धा से भरा ह्रदय परमात्मा का सिंहासन बन जाता है.इसीलिए कृष्ण कहते हैं--'श्रद्धावान लभते ज्ञानम.'अर्थात श्रद्धावान व्यक्ति ही ज्ञान को उपलब्ध होता है.
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अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा अपनी पत्नी के साथ अभी भारत आए थे.उनकी पत्नी चिशेल से किसी ने पूंछा कि पति से कभी विवाद होने पर संबंधों को पुनः सामान्य करने के लिए कौन पहल करता है ? चिशेल ने जवाब दिया -'मैं चूँकि महिला हूं,इसलिए मेरे पति ही पहल करते हैं.'यह बात बहुत महत्त्वपूर्ण है.मैं चाहता हूं कि ओशोधारा संघ में सभी इस बात का पालन करें.गलती किसी की हो,मनाने के लिए सदा पति को पहल करनी चाहिए.
'है कौन सही,है कौन गलत,क्या रखा इस नादानी में.कौड़ी की चिंता करने में,हीरा बह जाता पानी में.'
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संत कहते हैं--'सांस सांस सुमिरो गोविन्द.'लेकिन इससे यह ना समझना कि सुमिरन हमारी duity है.ऐसा इसलिए कि सुमिरन गोविन्द के प्रति हमारे प्रेम का इजहार है.सुमिरन साधन है,प्रेम सिद्धि है.सुमिरन मार्ग है,प्रेम मंजिल है.सुमिरन करोगे,तो बुल्लेशाह कि तरह तुम भी एक दिन गाने लगोगे--'रोम-रोम घा प्रेम के लागे.'