जिसे सत्य को खोजना है उसे भीड़ के द्वारा अपमानित होने के लिए तैयार रहना चाहिए - ओशो
जिसे सत्य को खोजना है उसे भीड़ के द्वारा अपमानित होने के लिए तैयार रहना चाहिए - ओशो
जिसे सत्य को खोजना है उसे भीड़ के द्वारा अपमानित होने के लिए तैयार रहना चाहिए। भीड़ उसकी निंदा करेगी, भीड़ विरोध करेगी, भीड़ इनकार करेगी, भीड़ उपेक्षा करेगी। भीड़ उसे पागल कहेगी। भीड़ सब तरह से । उसके मार्ग में रुकावटें डालेगी। लेकिन दीवाने को कोई कभी रोक नहीं पाया है। सच तो यह है, जितना उसे रोकने की कोशिश की जाती है, उसके भीतर उतना ही बल आ जाता है। वह हर राह के पत्थर को सीढ़ी बना लेता है। दीवाने विवाद नहीं करते। दीवाने तो निर्विवाद जीते हैं। और जो निर्विवाद जीते हैं उनकी मंजिल दूर नहीं। उनकी मंजिल आ ही गई! एक ही कदम में यात्रा पूरी हो सकती है। बस साहस की बात है। एक क्षण में निर्वाण का अमृत तुम पर बरस सकता है। बस प्रेम से भरी छाती चाहिए। इसलिए जिसको जो घाट प्यारा हो, कहना: जाओ, चलो, नाव में बैठो, यात्रा करो। और मुझे जो प्रीतिकर है उस पर चलने दो।
- ओशो
Nice content
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