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    मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है. - ओशो

     

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    मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है. - ओशो 

    इस दुनिया का अद्भुत नियम है-मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है! जो तुम्हें मिल जाता है, वही मिट्टी हो जाता है। तुम्हारा हाथ सोने को लगा कि वह भी ि मट्टी हो जाता है! तुम इतने मुर्दा हो कि तुम्हारे हाथ में जिंदगी आते-आते मौत हो जाती है। तुमने जो भी पा लिया, सब बेकार हो गया है। हां, आकांक्षा भटकती है दूर -दूर। जो नहीं मिलता है... दूर के ढोल सुहावने मालूम पड़ते हैं... और उसके ि लए तुम दौड़ते रहते, दौड़ते रहते-दौड़ते दौड़ते गिरते हो एक दिन, मिट जाते हो ए क दिन । दूसरों को गिरते देखते हो मगर तुम्हें यह खयाल नहीं आता कि मुझे भी गि रना है। दूर जो है वह सोना मालूम पड़ता है। जो नहीं मिला, सोना मालूम पड़ता है: हाथ लगते ही मिट्टी हो जाता है।

    इसे तुम जिंदगी कहोगे ?! अगर यही जिंदगी है तो फिर मौत क्या होगी? मौत और क्या हो सकती है? जिंदगी तो वह है जहां शाश्वत का अनुभव हो; जहां परमात्मा भीतर विराजमान हो; जहां उसका दीया जले-बिन बाती बिन तेल ! जो जलता है तो है, लेकिन फिर बुझता नहीं । जहां आनंद की अहर्निश वर्षा हो ! जहां अमृत झरे ! जब तक तुम ऐसे शाश्वतता से परिचित न हो जाओ, जिसकी कोई मृत्यु नहीं है; जब तक तुम कालातीत को न प हचान लो; तब तक मत समझना कि तुम जिंदा हो।

    - ओशो 

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