• Recent

    भौतिकवाद आध्यात्मवाद का अनिवार्य चरण है - ओशो

    Materialism-is-an-essential-stage-of-spirituality-Osho.


    भौतिकवाद आध्यात्मवाद का अनिवार्य चरण है - ओशो

     "पश्चिम में जहां चीजें बहुत बढ़ गई हैं उनको तुम कहते हो भौतिकवादी लोग। सिर्प इसीलिए कि उनके पास भौतिक चीजें ज्यादा हैं। इसलिए भौतिकवादी । और तुम आ ध्यात्मवादी, क्योंकि तुम्हारे पास खाने-पीने को नहीं है, छप्पर नहीं है, नौकरी नहीं है। यह तो खूब आध्यात्म हुआ ! ऐसे आध्यात्म का क्या करोगे? ऐसे आध्यात्म को आग लगाओ।

    और जिनके पास चीजें बहुत हैं, उनकी पकड़ कम हो गई है। स्वभावतः । कितना पक. डोगे? जिनके पास कुछ नहीं है, उनकी पकड़ ज्यादा होती है।

    सच तो यह है कि जितनी भौतिक उन्नति होती है, उतना देश कम भौतिकवादी हो जाता है।

    यह देश आध्यात्म की व्यर्थ दावेदारी करता है। इस देश को पहले भौतिकवादी होना चाहिए, तो यह आध्यात्मवादी भी हो सकेगा। इस देश के पास अभी तो शरीर को भी संभालने का उपाय नहीं है, आत्मा की उड़ान तो यह भरे तो कैसे भरे ! वीणा ही पा स नहीं है, तो संगीत तो कैसे पैदा हो ! पेट भूखे हैं, उनमें प्रेम के बीज कैसे फलें! पेट भूखे हैं, उनमें ध्यान कैसे उगाया जाए?

    मेरे हिसाव में हमने कोई अगर बड़ी-से-बड़ी भूल की है इन पांच हजार वषा में तो व ह यह कि हमने भौतिकवाद की निंदा की है। और भौतिकवाद की निंदा पर आध्यात्म वाद को खड़ा करना चाहा है। उसका यह दुष्परिणाम है जो हम भोग रहे हैं। इसमें तु म्हारे साधु-संतों का हाथ है। और जब तक तुम यह न समझोगे कि तुम्हारे साधु-संतों की जुम्मेवारी है तुम्हें भिखमंगा रखने में, गरीब रखने में, दीन-बीमार रखने में, तब तक तुम इस नरक के पार नहीं हो सकोगे। क्योंकि तुम मूल कारण को ही न पहचा नोगे तो उसकी जड़ कैसे कटेगी?

    मेरे हिसाव में, भौतिकवाद आध्यात्मवाद का अनिवार्य चरण है। भौतिकवाद बुनियाद है मंदिर की और आध्यात्म मंदिर का शिखर है। बुनियाद के बिना शिखर नहीं हो स कता । भौतिकवाद और आध्यात्म में कोई विरोध नहीं है। सहयोग है।

     - ओशो

    कोई टिप्पणी नहीं