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    जीवन है अभी, जीवन है यहां, जीवन है इसी क्षण - ओशो

    Life is now, life is here, life is right now - Osho

    जीवन है अभी, जीवन है यहां, जीवन है इसी क्षण - ओशो 

     पाखंड पैदा ही इसलिए होता है कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के अनुसार चलने लगता है--लकीर का फकीर होकर। यूं जैसे कि जुही गुलाब होना चाहे। यूं जैसे कि गुलाब कमल होना चाहे। फिर उपद्रव खड़ा हुआ। फिर पाखंड होगा, फिर पागलपन होगा। जुही गुलाब नहीं हो सकती। जरूरत भी नहीं है। जुही को अगर प्रकृति ने जुही बनाया है तो जुही की जरूरत है इसलिए बनाया है। जुही के बिना यह अस्तित्व अधूरा होगा। यह सारा अस्तित्व गुलाबों से भर जाए तो गुलाबों की कीमत भी खो जाएगी। जुही भी चाहिए और चंपा भी चाहिए और कमल भी चाहिए और गुलाब भी चाहिए। यह जो विविधता है, यह ब्रह्म की अनेक आयामी अभिव्यक्ति है। ब्रह्म कोई एक आयाम नहीं है, ब्रह्म कोई एक लकीर नहीं है--ऐसा सूर्य है जिससे अनंत किरणें फूटती हैं। और हर किरण अनूठी, अद्वितीय है! हर किरण का अपना रंग। हर किरण का अपना ढंग। हर किरण का अपना व्यक्तित्व, अपनी निजता, अपनी गंध। कोई किरण किसी दूसरी किरण का क्यों अनुसरण करे? 

            ब्रह्मवेत्ता यह नहीं कहेगा। ब्रह्मवेत्ता यह कहे तो ब्रह्मवेत्ता नहीं है। ब्रह्मवेत्ता इंगित करेगा; उपदेश भी नहीं, सिर्फ इशारा। और स्मरण रखना, इशारा भी लोहे की जंजीरों जैसा नहीं, फूलों के हार जैसा--कोमल, तरल। यूं नहीं कि उसके ढांचे में तुम्हें बंधना पड़े, बल्कि यूं कि वह तुम्हारे अनुकूल ढल जाए। इस भेद को साफ समझो। कपड़े तुम्हारे लिए हैं, तुम कपड़ों के लिए नहीं। यूं नहीं है कि कपड़े पहले से तैयार हैं और अब तुम्हें कपड़ों के साथ संयोजित होना है। अगर तुम थोड़े लंबे हो तो तुम्हारे हाथ-पैर छांटने होंगे। अगर तुम थोड़े छोटे हो तो तुम्हारे हाथ-पैर खींच कर बड़े करने होंगे। यूं ही तो आदमी मर रहा है; कपड़ों के लिए जी रहा है। और कपड़े न मालूम किन लोगों ने किनके लिए सिले थे, किनके लिए बने थे। उनकी लंबाई और थी, उनकी ऊंचाई और थी, उनके जीवन का सिलसिला और था, शैली और थी। 

            जमाना बीत गया। गंगा का कितना पानी बह गया! मगर मूढों की दुनिया अभी भी ठहरी है। किसी की दस हजार साल पहले, किसी की पांच हजार साल पहले, किसी की तीन हजार साल पहले। और मैं तुमसे कहता हूं: एक दिन पहले भी अगर तुम्हारी दुनिया ठहरी है तो तुम्हारे जीवन में संकट होगा। जीवन है अभी, जीवन है यहां, जीवन है इसी क्षण! ब्रह्मवेत्ता कभी भी तुमसे नहीं कहेगा कि ये रहे सिद्धांत, इनका अनुसरण करो, इनसे चूके तो पाप होगा। ब्रह्मवेत्ता कहेगा: सिद्धांत तुम्हारे लिए हैं, तुम सिद्धांतों के लिए नहीं। ब्रह्मवेत्ता मनुष्य की महत्ता की घोषणा करेगा, उसकी स्वतंत्रता की घोषणा करेगा। उसकी निजता के ऊपर ब्रह्मवेत्ता किसी को भी नहीं रखता। चंडीदास का प्रसिद्ध सूत्र है: मानुष सत्य, मनुष्य का सत्य सबसे ऊपर है, उसके ऊपर कोई सत्य नहीं। मानुष सत्य साबार ऊपर, ताहार ऊपर नाहीं। यह ब्रह्मवेत्ता की उदघोषणा है। मनुष्य का सत्य सबसे ऊपर है, उसके ऊपर कोई सत्य नहीं।

    - ओशो 

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