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    सबसे बड़ी हत्या प्रेम की हत्या है - ओशो

    The greatest murder is the murder of love - Osho


    सबसे बड़ी हत्या प्रेम की हत्या है - ओशो 

            इस दुनिया में सबसे बड़ी हत्या प्रेम की हत्या है। आदमी को मार डालो, इतना बुरा नहीं; मगर उसके प्रेम को योंकि आदमी मरेगा तो फिर जन्म ले लेगा। लेकिन उसका प्रेम मार डाला, तो शायद फिर भी जन्म ले ले, मगर वह जो प्रेम मर गया है, फिर पनपेगा कि नहीं? और फिर भी उस प्रेम को मारने वाले मौजूद रहेंगे, क्योंकि तुम्हीं कोई एक हत्यारे नहीं हो। प्रेम को मारने का इतना आयोजन है। बच्चा पैदा हआ और हमने उसके प्रेम को मारना शुरू किया। मां कहती है, 'मुझे प्रेम करो, क्योंकि मैं तुम्हारी मां हूं। और मुझसे ही प्रेम करना।' बाप कहता है, 'मुझे प्रेम करो, क्योंकि मैं तुम्हारा बाप हूं।' जैसे कि बाप होना कोई प्रेम के लिए अनिवार्य कारण है। बाप होंगे तो होंगे। मगर इससे प्रेम चाहिए, ऐसा क्या है? सिर्फ बाप होना कानूनी अधिकार हो सकता है। लेकिन प्रेम का क्या अधिकार है? प्रेम को जन्माने की कोशिश नहीं की जाती; प्रेम को जबरदस्ती आरोपित करने की कोशिश की जाती है। और बच्चा मजबूर है, क्योंकि असहाय है। उसे मां को प्रेम करना होगा, नहीं तो जीना मुश्किल हो जाएगा। मां को देख कर मुस्कुराना होगा, चाहे मुस्कुराहट आती हो या न आती हो। यहीं से राजनीति शुरू होती है। फिर । जिंदगी भर यह मुस्कुराएगा। इसकी मुस्कुराहट बस ओंठों पर, ओंठों से जरा भी गहरी नहीं। उतनी ही गहरी समझो जितना लिपस्टिक जाता है। इससे ओंठ थोड़े खराब ही हो जाते हैं। लिपस्टिक लगाने वाली स्त्रियों के ओंठ देखे? बिना लिपस्टिक लगाए जरा देखना, चमड़ी खराब हो गई, सूख गई। वह जो धोखा दिया उसमें सब कुछ खराब होने ही वाला है। यह हंसी भी ओंठों पर। यह प्रेम भी ओंठों पर। यह प्रेम भी बातचीत।

    - ओशो 

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