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    जिन मुल्कों में मनोरंजन की जितनी कमी है उन मुल्कों में जनसंख्या उतनी तेजी से बढ़ेगी - ओशो

    The countries where there is a lack of entertainment, the population will grow at a faster rate - Osho

    जिन मुल्कों में मनोरंजन की जितनी कमी है उन मुल्कों में जनसंख्या उतनी तेजी से बढ़ेगी - ओशो 

    मनुष्य के सपने आज जब पूरे होने के करीब आए हैं, तब एशिया इतने बच्चे पैदा कर रहा है कि वे सारी दुनिया को दबा डालेंगे। ये बैरियर ज्यादा दिन तक काम नहीं कर सकेंगे राष्ट्रों की सीमाओं के। और न वीसा और पासपोर्ट ज्यादा दिन रोकेंगे। संख्या जैसे ही सीमा के बाहर होगी, कोई नियम काम नहीं करेगा। लोग एक-दूसरे के मुल्कों में प्रवेश कर जाएंगे और जहां जगह होगी वहां हावी हो जाएंगे। क्योंकि मरता क्या न करता! अगर मरना ही है तो फिर कोई पलिस नहीं रोक सकती; कोई बैरियर नहीं रोक सकता। एशिया सबसे बड़ा खतरा हो गया है सारे जगत के लिए। इसलिए सारा जगत चिंतित है, सहायता पहुंचाता है। बर्थ कंट्रोल की एड्स लो, पिल्स लो, सारा इंतजाम करो, हम तैयार हैं आपकी सेवा में, लेकिन कृपा करके आप बच्चे पैदा मत करो। आप अपने लिए तो खतरा हो ही, आप सारी दुनिया की सुविधा के लिए भी खतरा हो।

            लेकिन अगर इसे हमने स्वेच्छा पर छोड़ा तो हम नुकसान में पड़ेंगे। समझदार आदमी बच्चे पैदा करता ही नहीं, कम करता है। आमतौर से समझदार आदमी बच्चे कम पैदा करता है। अगर समझदार ही लोग हों तो संख्या थोड़ी कम होगी हर पीढ़ी के बाद। लेकिन गैर-समझदार बच्चे बहुत जोर से पैदा करता है। वह समझ लेना जरूरी है कि वह क्यों करता है। गैर-समझदार बच्चे इतने ज्यादा क्यों पैदा करता है? एक मजदूर या एक किसान इतने बच्चे क्यों पैदा करता है? इसके दो कारण हैं। एक तो समझदार आदमी सेक्स के अतिरिक्त कुछ और सुख भी खोज लेता है जो गैरसमझदार नहीं खोज पाता। संगीत है, साहित्य है, धर्म है, ध्यान है--कुछ और रास्ते भी खोज लेता है जहां से उसे आनंद मिल सकता है। वह जो गैर-समझदार है उसके लिए आनंद सिर्फ एक है, वह सेक्स से संबंधित है। वह आनंद और कहीं भी नहीं है। न वह रात एक उपन्यास पढ़ कर बिता सकता है कि इतना इब जाए कि पत्नी को भूल सके, न वह एक दिन ध्यान में प्रवेश कर पाता है, न बांसुरी में उसे कोई रस है। नहीं, उसका चित्त उस जगह नहीं आया जहां कि आदमी यौन के ऊपर सुख खोज लेता है।

            जितने आदमी यौन के ऊपर सुख खोज लेते हैं उनकी यौन की भूख निरंतर कम होती चली जाती है। अगर वैज्ञानिक अविवाहित रह जाते हैं तो कोई ब्रह्मचर्य साधने के कारण नहीं। या संत अविवाहित रह जाते हैं तो कोई ब्रह्मचर्य साधने की वजह से नहीं। कुल कारण इतना है कि उनके जीवन में आनंद के नए द्वार खुल जाते हैं। वे इतने बड़े आनंद में होने लगते हैं कि यौन का आनंद अर्थहीन हो जाता है। गरीब के पास, अशिक्षित के पास, ग्रामीण के पास, श्रमिक के पास और कोई मनोरंजन नहीं है। इसलिए जिन मुल्कों में मनोरंजन की जितनी कमी है उन मुल्कों में संख्या उतनी तेजी से बढ़ेगी। उसके पास एक ही मनोरंजन है; वह जो प्रकृति ने उसे दिया है। मनुष्य-निर्मित कोई मनोरंजन उसके पास नहीं है। लेकिन यह सुनेगा नहीं, क्योंकि यह सुनने की स्थिति में भी नहीं है। यह बच्चे पैदा करता चला जाएगा। और समझदार वर्ग सुन लेगा और चुप हो जाएगा, बच्चे पैदा नहीं करेगा। तो वैसे ही जिन मुल्कों की प्रतिभा कम है वह और कम हो जाएगी। सौंदर्य कम हो जाएगा, स्वास्थ्य कम हो जाएगा, प्रतिभा कम हो जाएगी।

    - ओशो 

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