समय न खोओ - ओशो
प्रिय कृष्ण चैतन्य,
प्रेम।
शक्ति को कब तक सोई रहने देना है? स्वयं के विराट से कब तक अपरिचित रहने की ठानी है? दुविधा में समय न खोओ। संशय में अवसर न गंवाओ। समय फिर लौट कर नहीं आता है। और, खोए अवसरों के लिए कभी-कभी जन्म-जन्म प्रतीक्षा करनी होती है।
रजनीश के प्रणाम
२६-११-१९७० प्रति : स्वामी कृष्ण चैतन्य, विश्वनीड, संस्कार तीर्थ, आजोल, गुजरात
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