जो मिले अभिनय उसे पूरा कर - ओशो
प्रिय योग प्रिया, प्रेम।
संन्यास में संसार अभिनय है। संसार को अभिनय जानना ही संन्यास है। फिर न कोई छोटा है, न वड़ा-न कोई राम है, न रावण । फिर तो जो भी है सब रामलीला है! जो मिले अभिनय उसे परा कर। वह अभिनय तू नहीं है। और जब तक भविष्य से हमारा तादात्म्य है, तव तक आत्मज्ञान असंभव है। और जिस दिन यह तादात्म्य टूटता है उसी दिन से अज्ञान असंभव हो जाता है। अभिनय कर और जान कि तू वह नहीं है।
रजनीश के प्रणाम
२६-११-१९७० प्रति : मा योग प्रिया, विश्वनीड, संस्कार तीर्थ, आजोल, गुजरात
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