प्रतिपल मर जाओ - ओशो
प्यारी भगवती,
प्रेम।
पुराने की लीक छोड़ो। लीक पर सिर्फ मुर्दे ही चलते हैं। जीवन सदा नए की खोज है। जो निरंतर नया होने की क्षमता रखता है, वही ठीक अर्थों में जीवित है। पूराने के प्रति प्रतिपल मर जाओ; ताकि तुम सदा नए हो सको। जीवन-क्रांति का मूल सूत्र यही है।
रजनीश के प्रणाम
१-७-१९६९ प्रति : सुश्री भगवती एडवानी, बंबई
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