विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 76
[ "वर्षा की अंधेरी रात में उस अन्धकार में प्रवेश करो , जो रूपों का रूप है ." ]
लेट जाओ और भाव करो कि तुम अपनी मां के पास हो . अन्धकार मां है--सब की मां . थोड़ा विचार करो कि जब कुछ नहीं था तो क्या था ? तुम अन्धकार के अतिरिक्त और किसी चीज की कल्पना नहीं कर सकते . और यदि सब कुछ विलीन हो जाए तो क्या रहेगा ? अन्धकार रहेगा . अन्धकार माता है , गर्भ है . और देर-अबेर तुम महसूस करोगे कि अन्धकार का गर्भ मुझे सब तरफ से घेरे है और मैं उसमें हूं .
और : चलते हुए , काम पर जाते हुए , भोजन करते हुए , कुछ भी करते हुए अपने साथ अन्धकार का एक हिस्सा साथ लिए चलो . जो अन्धकार तुममें प्रवेश कर गया है उसे साथ लिए चलो . जैसे हम ज्योति के साथ लिए चलने की बात करते थे वैसे ही अन्धकार को साथ लिए चलो . और जैसे मैंने तुम्हें बताया कि अगर तुम अपने साथ ज्योति को लिए चलो और भावना करो कि मैं प्रकाश हूं तो तुम्हारा शरीर एक अद्भुत प्रकाश विकीरित करेगा और संवेदनशील लोग उसे अनुभव भी करेंगे , ठीक वही बात अन्धकार के इस प्रयोग के साथ भी घटित होगी .
अगर तुम अपने साथ अन्धकार को लिए चलो तो तुम्हारा सारा शरीर इतना विश्रांत हो जाएगा , इतना शांत और शीतल हो जाएगा कि वह दूसरों को भी अनुभव होने लेगा . और जैसे साथ में प्रकाश लिए चलने पर कुछ लोग तुम्हारे प्रति आकर्षित होंगे वैसे ही साथ में अन्धकार लिए चलने पर कुछ लोग तुमसे भयभीत और त्रस्त होंगे . वे ऐसी मौन उपस्थिति को झेल नहीं पाएंगे ; यह उनके लिए असहय होगा .
अगर तुम अपने साथ अन्धकार लिए चलोगे तो अन्धकार से भयभीत लोग तुमसे बचने की कोशिश करेंगे , वे तुम्हारे पास नहीं आयेंगे . और प्रत्येकआदमी अन्धकार से डरा हुआ है . तब तुम्हें लगेगा कि मित्र मुझे छोड़ रहे हैं . जब तुम अपने घर आओगे तो तुम्हारा परिवार परेशान होगा . क्योंकि तुम तो शीतलता के पुंज की तरह प्रवेश करोगे और लोग अशांत और क्षुब्ध हैं . उनके लिए तुम्हारी आंखों में देखना कठिन होगा ; क्योंकि तुम्हारी आंखें घाटी की तरह , गहन खाई की तरह गहरी होंगी . अगर कोई व्यक्ति तुम्हारी आंखों में झांकेगा तो वहां उसे ऐसी अतल खाई दिखेगी कि उसका सिर चकराने लगेगा .
लेकिन तुम्हें अद्भुत अनुभव होंगे . तुम्हारे लिए क्रोध करना असंभव हो जाएगा . अपने भीतर अन्धकार लिए तुम क्रोधित नहीं हो सकते हो . अपने साथ ज्योति लिए तुम बहुत आसानी से क्रोधित हो सकते हो , पहले से ज्यादा क्षुब्ध हो सकते हो , क्योंकि ज्योति तुम्हें उत्तेजित कर सकती है . ज्योति साथ लिए तुम पहले से ज्यादा कामुक हो सकते हो ; क्योंकि ज्योति तुम्हें उत्तेजित कर सकती है , वह तुम्हारी वासना को भड़का सकती है . लेकिन अन्धकार को साथ लिए तुम्हें अपने भीतर गहन निर्वासन का अनुभव होगा . तुम कामुक नहीं होगे ; तुम आसानी से क्रोध में नहीं बहोगे . वासना विलीन हो जाएगी . तुम पुरुष हो या स्त्री , तुम्हें इसका भी बोध नहीं होगा . वे शब्द तुम्हारे लिए अप्रासंगिक हो जाएंगे , अर्थहीन हो जाएंगे . तुम सिर्फ होओगे .
26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50
51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75
76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100
101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112