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    विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 62

    ["जब किसी इन्द्रिय-विशेष के द्वारा स्पष्ट बोध हो , उसी बोध में स्थित होओ ."]


    तुम अपनी आंख के द्वारा देखते हो . ध्यान रहे , तुम अपनी आंख के द्वारा देखते हो . आंखें नहीं देख सकतीं ; उनके द्वारा तुम देखते हो . दृष्टा पीछे छिपा है , भीतर छिपा है ; आंखें बस द्वार हैं , झरोखे हैं . लेकिन हम सदा सोचते हैं कि हम आंख से देखते हैं ; हम सोचते हैं कि हम कान से सुनते हैं . कभी किसी ने कान से नहीं सुना है . तुम कान के द्वारा सुनते हो , कान से नहीं . सुनने वाला पीछे छिपा है . कान तो रिसीवर भर है .


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