सिद्धार्थ उपनिषद Page 73
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तुम कहो कि जो प्राइमरी स्कूल में पढ़ा था, वो तो बहुत अच्छा लगा था. हर बार आप स्कूल बदल देते हैं. हर बार आप क्लास बदल देते हैं, तो प्रगाढ़ता नहीं आती. इस क्लास से उस क्लास, उस क्लास से उस क्लास.
अब तुम पहली ही क्लास में जिंदगी बिता दोगे, या आगे की क्लास करोगे बताओ.तो निश्चित आगे की क्लास करोगे तो course बदल जायेगा. वही-वही course पढाया जायेगा क्या ? वही बाबर का बेटा हुमांयु, हुमांयु का बेटा अकबर कब तक रटते रहोगे बताओ. कुछ आगे का करना है कि नहीं.
पहली क्लास में नाद का ज्ञान कराया जाता है. बंदा बोल रहा है वह तो ठीक लग रहा था. अब आपने आगे नूर का बता दिया, उसके आगे अमृत का बता दिया, उसके बाद उमंग और शक्ति, ऊर्जा और स्वाद , दिव्य गंध, दिव्य खुमारी, दिव्य मंगल. दुनियां भर की झंझट खड़ी कर दी. तुम कहोगे एक किलोमीटर जो चढाया था वो तो ठीक लगा था. लेकिन किलोमीटर पर किलोमीटर...जिंदगी भर क्या आप चलाते रहोगे. नहीं घबड़ाओ मत दो कोस और चलो.
नेतरहाट स्कूल में मै पढता था. तो मेरे क्लास टीचर ने कहा कि हम सब बूढाघाट झरना देखने चलेंगे. हम लोग भी उत्साहित थे. करीब 4-5 किलोमीटर हम लोग चले. एक गाँव वाले से पूंछा कि भई बूढाघाट झरना कितनी दूर है ? उसने कहा 2 कोस. ( 2 कोस मतलब 4 mile = 6 k.m. ) हम लोग 5 किलोमीटर और चले. फिर पूंछा - गाँव वाले ने कहा 2 कोस. हमने कहा हद ही हो गई . फिर भी मन-मानकर 5-6 किलोमीटर और चले. एक गाँव वाले से फिर पूंछा - कि भई बूढाघाट झरना कितनी दूर है ? वह बोला बस 2 कोस . अब सोंचो कि सुबह से चलते-चलते शाम हो गई और अभी भी बोल रहा है 2 कोस. तो गाँव वालों को कहा कि तुम सब कितने झूंठे हो, जो बोलता है 2 कोस. वो गाँव वाला हंसा और बोला - इस बार असली 2 कोस. हमने कहा बाकी जो कह रहे थे, उसने कहा वे करुणा वान लोग थे. अगर वहीँ बोल देते 10 कोस तो तुम लोग वहीँ से लौट जाते. तो समझ लेना इशारा ! मै कहूँगा 2 कोस और चलो.