सिद्धार्थ उपनिषद Page 64
सिद्धार्थ उपनिषद Page 64
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तो इसलिए मैं संस्कृति के विरोध में नहीं हूँ. मगर संस्कृति अध्यात्म पर हावी नहीं होनी चाहिए. केन्द्र में आध्यात्म हो, परिधि पर संस्कृति हो.
" जब भी पूजा भाव उमड़ा, पूंछ न आराध्य कैसा.
मृत्तिका के पिंड से कह दे, तू भगवान बन जा.
जानकार अनजान बन जा. "
तुम कहाँ सिर झुका रहे हो, यह महतवपूर्ण नहीं है. तुम सिर झुका रहे हो यह महत्वपूर्ण है. तो कोई भी अहंकार गलाने का अवसर छोडो मत.
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गौतम बुद्ध को वैशाली बुलाया गया. वहां अकाल पड़ा था. उनके वहां जाते ही बारिश होने लगी. आनंद पूंछता है- यह चमत्कार कैसे हुआ ? गौतम बुद्ध ने कहा- इसका बीज मैंने पिछले जन्म में बोया था. जहाँ भी सिर झुकाने का मौका मिलता, मैं सिर झुका देता था. मंदिर था, कि चैत्य था, कि विहार था, कि किसी की समाधि थी, कि पीपल का वृक्ष था, कि नदी थी. बस मौका मिलना चाहिए था, मै सिर झुका देता था.
" मैंने अपनी मौज में सर झुका दिया, अब खुदा मालुम, वो काबा था की बुतखाना."
इसकी फ़िक्र कौन करता है, सिर झुकाने की मौज आई , हमने सिर झुका दिया. इसलिए यह मत देखो कहाँ सिर झुकाना है, कहाँ नहीं. मस्जिद मिले सिर झुका दो, मंदिर मिले सिर झुका दो. लेकिन इस बात का ख्याल रखो, हमें जाना है गोविन्द के यहाँ. जाना है उस निराकार अस्तित्व के पास. क्योंकि वही घट में विद्यमान है, घट के बाहर विद्यमान है. जाना निराकार में है. आध्यात्म का संबंध निराकार से है. संस्कृति का संबंध आकार से है. बस इतना याद रखो हमारी मंजिल निराकार है. बाकी सब रास्ते की बातें हैं.
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मनुष्य मरता है तो मनुष्य योनि में ही जन्म लेता है. 99.9 प्रतिशत के लिए सत्य है. क्योंकि मनुष्य की आकंक्षा मनुष्य की तरफ उठती है. मरते समय जो तुम्हारी दशा होती है, उसके अनुसार ही अगला जन्म guided होता है. मगर 0.1 प्रतिशत जो जीवन का आदर नहीं करते, जो परमात्मा के इस उपहार की अवहेलना करते हैं. वे back योनियों में चले जाते हैं. मनुष्योचित तुमने कर्म नहीं किया या इस जीवन का अनादर , सुसाइड किया.
सुसाइड करने वालों को मनुष्य योनि नहीं मिलती है. ओशोधारा के ' महाजीवन-प्रज्ञा ' कार्यक्रम में 100 से ज्यादा मित्र आते हैं. उस प्रयोग (past lilife regression) में जिन्होंने सुसाइड की थी अतीत में, उन्होंने अपना अगला जन्म कुत्ते, बिल्ली का देखा. हमारे यहाँ क्रिस्टो (dog) है. मैंने उसके पिछले जन्म में झाँकने की कोशिश की, तो देखा- वो पिछले जन्म में तिब्बती लामा था. उसके बाद वो किसी लड़की के प्रेम में पड़ा. फिर उसको ग्लानि हुई और उसने पहाड़ी से छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली.इस जन्म में दुर्भाग्य से कुत्ता बन गया, और सौभाग्य से हम लोगों के पास आ गया. लेकिन आदत वही है, पुरुषों कों भौकता है, स्त्रियों के पीछे भागता है. मैं कहता हूँ- अरे लामा पिछला जीवन तो तूने बर्बाद किया, अब भी उसी चक्कर में पड़ा है.
इसलिए कभी सुसाइड की मत सोचना. सुसाइड किया तो अगला जन्म मनुष्य का नहीं मिलने वाला है. आजकल पूरी दुनियां में past life regression पर रिसर्च हो रहा है. तो 99.9 प्रतिशत मनुष्य का अगला जन्म मनुष्य का होता है, 0.1 प्रतिशत back योनि में जाना पड़ता है, बर्शते यदि तुमने जीवन का सम्मान नहीं किया.