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    विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 90

     [ " आंख की पुतलियों को पंख की भांति छूने से उनके बीच का हल्कापन हृदय में खुलता है और वहां ब्रह्मांड व्याप्त हो जाता है . " ]


    दोनों हथेलियों का उपयोग करो , उन्हें अपनी आंखों पर रखो और हथेलियों से पुतलियों को स्पर्श करो-- जैसे पंख से उन्हें छू रहे हो . पुतलियों पर जरा भी दबाव मत डालो . अगर दबाव डालते हो तो तुम पूरी बात ही चूक गए . तब पूरी विधि ही व्यर्थ हो गई . कोई दबाव मत डालो ; बस पंख की तरह छुओ . बिलकुल दबाव मत डालो ; आंख की ऊर्जा को हलके से दबाव का भी पता चल जाता है ; वह बहुत सूक्ष्म है , कोमल है . तो दबाव बिलकुल नहीं , तुम्हारी हथेलियां पंख की तरह पुतलियों को ऐसे छुएं जैसे न छू रही हों . आंखों को ऐसे स्पर्श करो कि वह स्पर्श पता भी न चले , किंचित भी दबाव न पड़े ; बस हल्का सा अहसास हो कि हथेली पुतली को छू रही है . बस ! 
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