• Recent

    समर्पण-एक अनसोची छलांग - ओशो

    8:44:00 am 0

       प्रिय सावित्री,       प्रेम।                 सुरक्षा है ही नहीं कहीं-सिवाय मृत्यु के। जीवन असुरक्षा का ही दूसरा नाम है। इस सत्य की पहचान ...

    समय न खोओ - ओशो

    8:02:00 am 0

      प्रिय कृष्ण चैतन्य,       प्रेम।                 शक्ति को कब तक सोई रहने देना है? स्वयं के विराट से कब तक अपरिचित रहने की ठानी है? दुविधा ...

    विचारों के पतझड़ - ओशो

    7:49:00 am 0

      मेरे प्रिय,       प्रेम।                 विचारों के प्रवाह में बहना भर नहीं। बस जागे रहना। जानना स्वयं को पृथक और अन्य। दूर और मात्र द्रष्...

    जो घर बारै आपना - ओशो

    7:49:00 am 0

       मेरे प्रिय,       प्रेम।                 प्रेम स्वप्न में भी भेद नहीं करता है। और वह प्रेम जो कि प्रार्थना भी है, उसमें तो भेद भाव का उपा...

    समर्पण और साक्षी - ओशो

    7:49:00 am 0

      मेरे प्रिय, प्रेम।                 प्रभु पल-पल परीक्षा लेता है। हंसो-और परीक्षा दो। वह परीक्षा योग्य मानता है, यह भी सौभाग्य है। और जल्दी ...

    ध्यान है भीतर झांकना - ओशो

    7:49:00 am 0

       प्रिय योग यशा,       प्रेम।                 वीज को स्वयं की संभावनाओं का कोई भी पता नहीं होता है, ऐसा ही मनुष्य भी है। उसे भी पता नहीं है...

    प्रभु के लिए पागल हो - ओशो

    7:49:00 am 0

    प्रिय आनंद मधु,       प्रेम।                 समय पक गया है। अवसर रोज निकट आता जाता है। अनंत आत्माए विकल हैं। उनके लिए मार्ग बनाना है। इसलिए,...

    परमात्मा है असीम प्रेम - ओशो

    7:49:00 am 0

       चिदात्मन,       स्नेह।                 साधना शिविर से लौटकर वाहर चला गा था। रात्रि ही लौटा हूं। इस बीच निरं तर आपका स्मरण बना रहा है। आपक...

    प्रेम की संपदा - ओशो

    7:49:00 am 0

       प्रिय सोहनवाई,       स्नेह।                 आपका अत्यंत प्रीतिपूर्ण पत्र मिला है। आपने लिखा है कि मेरे शब्द आपके कानों में गूंज रहे हैं। ...

    गागर में प्रेम का सागर - ओशो

    7:49:00 am 0

       प्रिय सोहन,       प्रेम।                 कल आते ही तेरा पत्र खोजा था। फिर रविवार था तो भी राह देखता रहा! आ ज संध्या पत्र मिला है। कितने थ...