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    आंखें खोलो और देखो - ओशो

    10:05:00 am 0

       प्यारी कुसुम,       प्रेम।            संसार है निर्वाण। ध्वनि मात्र है मंत्र। और, प्राणि मात्र परमात्मा । बस, सब कुछ स्वयं की दृष्टि पर न...

    जीवन को नृत्य बना - ओशो

    10:05:00 am 0

    प्यारी नीलम, प्रेम।            जीवन का प्रयोजन न खोज। वरन जी-पूरे हृदय से। जीवन को गंभीरता मत बना। नृत्य बना। सागर की लहरें जैसे नाचती हैं, ...

    प्राणों के गीत - ओशो

    10:05:00 am 0

    मेरे प्रिय, प्रेम।            सुबह सूर्योदय के स्वागत में जैसे पक्षी गीत गाते हैं ऐसे ही ध्यानोदय के पूर्व भी मन प्राण में अनेक गीतों का जन्...

    खोजो मत-खाओ - ओशो

    9:56:00 am 0

    प्रिय सत्यानंद, प्रेम।            मेरे शुभाशीष। सत्य में जियो-क्योंकि सत्य को जानने का कोई उपाय नहीं है। सत्य ही हो जाओ-क्योंकि सत्य केवल सत...

    विचारों की चरम सीमा - ओशो

    9:56:00 am 0

       मेरे प्रिय, प्रेम।            विचार ही मनुष्य की शक्ति है। और वही विश्वास ने उससे छीन ली है। मनुष्य इसीलिए दीन-हीन और निर्वीर्य हो गया है...

    प्रेम की आग - ओशो

    9:56:00 am 0

    प्रिय जयति, प्रेम।            प्रभु सब भांति निखारता है। शुद्ध होने के लिए, स्वर्ण को ही नहीं, मनुष्य को भी अग्नि में से गुजरना पड़ता है। प्...

    मुक्ति का संगीत - ओशो

    9:56:00 am 0

    प्यारी जयति, प्रेम।            प्रभु के मंदिर में नाचते-गाते, आनंद मनाते ही प्रवेश होता है। उदास चित्त की वहां कोई गति नहीं है। इसलिए, उदासी...

    अटूट संकल्प - ओशो

    9:56:00 am 0

    मेरे प्रिय, प्रेम।            ध्यान के जल स्रोत निकट ही हैं। लेकिन दमित काम की पर्ते चट्टानों का काम कर रही हैं। काम का दमन ही आपके जीवन को ...

    सत्य है सदा सूली पर - ओशो

    9:56:00 am 0

    प्यारी जयति, प्रेम।            तेरा पत्र मिला है। पगली! मेरे लिए कभी भी, भूलकर भी चिंतित मत होना। दो कारणों से: एक तो प्रभु के हाथों में जिस...

    समाधान की खोज - ओशो

    9:56:00 am 0

    प्यारी रेखा, प्रेम।            तेरा पत्र मिला है। उसमें तूने इतने प्रश्न पूछे हैं, कि उत्तर के लिए मुझे महाभारत से भी बड़ी किताब िलखनी पड़ेग...

    अंतर्वीणा - ओशो

    9:56:00 am 0

    मेरे प्रिय, प्रेम।           काश! वीणा बाहर होती तो संगीत भी सूना जा सकता था! लेकिन, वीणा भीतर है, इसलिए संगीत सुना नहीं जा सकता है। हां-संग...

    खोज-खोज-और खोज - ओशो

    9:55:00 am 0

    प्यारी कुसुम, प्रेम।            खोज-खोज-और खोज। इतना कि अंततः खोजते-खोजते स्वयं ही खो जावें।बस वही बिंदु उसके मिलन का है। इधर मैं मिटा, उधर ...

    अर्थ (उमंदपदह) की खोज - ओशो

    9:55:00 am 0

    मेरे प्रिय, प्रेम।            अर्थ (उमंदपदह) की खोज ही अनर्थ है। अर्थ की खोज ने ही अर्थहीनता (उमंदपदहसमेदमे) तक पहुंचा दिया है। अर्थ नहीं है...

    मृत्यु का वोध - ओशो

    9:55:00 am 0

    प्रिय मथुरा वाबू, प्रेम।            आपका पत्र मिला है। यह जानकर आनंदित हूं कि मां की मृत्यु से आपको स्वयं की मृत्यु का खयाल आया है। मृत्यु क...

    दस जीवन सूत्र - ओशो

    9:55:00 am 0

    प्रिय रामचंद्र प्रेम!       मेरी दस आज्ञाएं (मं विउउंदकउमदजे) पूछी हैं। बड़ी कठिन बात है। क्योंकि, मैं तो किसी भी भांति की आज्ञाओं के विरोध ...