प्रयोग करें, परिणाम की चिंता नहीं - ओशो
प्रिय आत्मन, प्रणाम। पूरी मई वाहर रहने से स्वास्थ्य पर कुछ बुरा असर हुआ। इसलिए जून में आ योजित बंबई, कलकत्ता और जयपुर के सारे कार...
प्रिय आत्मन, प्रणाम। पूरी मई वाहर रहने से स्वास्थ्य पर कुछ बुरा असर हुआ। इसलिए जून में आ योजित बंबई, कलकत्ता और जयपुर के सारे कार...
प्रिय, आत्मन, प्रणाम। मैं अभी अभी राज नगर (राजस्थान) लौटा हूं। वहां आचार्य श्री तुलसी के म र्यादा महोत्सव में आमंत्रित था ।...
प्रिय आत्मन, प्रणाम। आपका पत्र पढ़ कर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मैं अभी तो कुछ भी नहीं लिखा हूं।एक ध्यान केंद्र जरूर यहां बनाया है, ज...
प्रिय आत्मन, आपका पत्र मिल गया था। कुछ लिखने के लिए आपका कितना प्रेमपूर्ण आग्रह है! औ र मैं हूं कि अतल मौन में डूब गया हूं। बोलता...
प्यारी जया, प्रेम। तेरा पत्र मिला है। तेरे प्राणों की प्यास को, मैं भलीभांति जानता हूं। और वह क्षण भी दूर नहीं है, जव वह तृप्त हो ...
मेरे प्रिय, प्रेम। आपका पत्र मिला है। जन्म-समय की खोज-खवर करनी पड़ेगी। दिन शायद ११ दिसंबर है। लेकिन यह भी पक्का नहीं। लेकिन ज्योत...
प्रभात मेरे प्रिय, प्रेम। तुम्हारा पत्र पाकर आनंदित हूं। सत्य अज्ञात है और इसलिए उसे पाने के लिए ज्ञात को छो...
जिसे भी सत्य को पाना है, उसे सत्य के संबंध में सारे मत छोड़ने होंगे - ओशो मेरे पड़ोस में, गांव में एक आदमी रहता था। वह जंगल से त...
मेरे प्रिय, प्रेम। पत्र मिला है। मैं तो सदा साथ हूं। न चिंतित हों, न उदास। साधना को भी पर मात्मा के हाथों में छोड़ दें। जो उसकी...
प्रिय कृष्ण चैतन्य, प्रेम। तुम्हारा पत्र पाकर आनंदित हूं। शक्ति है तुम्हारे स्वयं के भीतर। लेकिन, उसका तुम्हें पता ...
मेरे प्रिय, प्रेम। आपका प्रेमपूर्ण पत्र पाकर अत्यंत अनुगृहीत हूं। लेकिन, जीवन को मैं अखंड मानता हूं। और उसे खंड खंड तोड़कर देखने ...
प्रिय सोहन, पत्र मिला है। मैं तो जिस दिन से आया हूं, उसी दिन से प्रतीक्षा करता था। पर, प्रती क्षा भी कितनी मीठी होती है! जीवन स...
प्रिय सोहन, तू इतने प्यारे पत्र लिखेगी, यह कभी सोचा भी नहीं था! और ऊपर से लिखती है कि मैं अपढ़ हूं! प्रेम से बड़ा कोई ज्ञान नहीं ...
प्रिय सोहन, स्नेह। मैं वाहर से लौटा तो तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा थी। पत्र और अंगूर साथ ही मिले।पत्र जो कि वैसे ही इतना मीठा था...
प्रिय सोहन प्रेम। बहुत प्रेम । प्रवास से लौटा, तो पत्रों के ढेर में तेरे पत्र को खोजा। तेरे अपने हाथ से लिखे उस पत्र को पाकर कितन...
प्रिय आत्मन, प्रणाम, पूरी मई वाहर रहने से स्वास्थ्य पर कुछ बुरा असर हुआ। इसलिए जून में आ योजित वंबई, कलकत्ता और जयपुर के सारे कार...
कोई बुद्धिमान आदमी कभी किसी का अनुयायी नहीं बनता - ओशो जो आदमी भी किसी का अनुयायी बनता है, वह आदमी पहली तो बात है खतरनाक है, डेंजरस है। क्य...