मौन चित्त के बर्तन को साफ करता है - ओशो
मौन चित्त के बर्तन को साफ करता है - ओशो एक साधु ने अपने शिष्य को कहा था, तुम जाओ, जो तुम मेरे पास नहीं समझ सके , वह मेरा ए...
मौन चित्त के बर्तन को साफ करता है - ओशो एक साधु ने अपने शिष्य को कहा था, तुम जाओ, जो तुम मेरे पास नहीं समझ सके , वह मेरा ए...
ओशो तुम जैसे हो वैसा ही जगत अपने आस पास बना लोगे - ओशो एक बूढ़ा आदमी गांव के बाहर बैठा था। दूसरे गांव से आते हुए एक रा...
ओशो आदतें मनुष्य की चेतना को दबा देती है - ओशो आदतें मनुष्य की चेतना को दबा देती है। जिस मनुष्य को आत्मा को उपलब्ध करना हो उसकी उ...
ओशो मनुष्य जितना यांत्रिक होता जायेगा, उतना उसकी चेतना सिकुड़ती जायेगी - ओशो इस जगत का जैसा विकास हुआ है वह क्रमशः इस भा...
ओशो जो व्यक्ति जितना जागरूक होकर जीवन जियेगा, वह उतना ही शून्य होता जायेगा - ओशो जो व्यक्ति जितना जागरूक होकर जीवन में ...
ओशो वही व्यक्ति संवेदनशील हो सकता है, जिसका मन शून्य हो - ओशो मैं एक मित्र को लेकर, एक पहाड़ी पर गया हुआ था। पूर्णिमा क...
ओशो हमारी संवेदना जितनी गहरी होगी, उतने गहरे सत्य हमें प्रकट होने लगेंगे - ओशो अगर एक अंधा आदमी मुझसे आकर कहे कि मुझे प...
ओशो हमारी जितनी चेष्टाएं दूसरों को देखकर होगी, वे हमें गलत दिशा की और ले जाएंगी - ओशो मैं एक गांव गया। मेरे एक मित्र...
ओशो कोई मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य जैसा नहीं हो सकता - ओशो बुद्ध के जीवन में एक उल्लेख है। अपने पिछले जन्म में उन्होंने प...
कोई बुद्धिमान आदमी कभी किसी का अनुयायी नहीं बनता - ओशो जो आदमी भी किसी का अनुयायी बनता है, वह आदमी पहली तो बात है खतरनाक है, डेंजरस है। क्य...